Shri Ram Charit Manas Katha Sar – Hindi

 

 

 

[चौरासी कथा – सूत्रों में सम्पूर्ण ” मानस “]

 

राम चरित मानस एहि नामा | सुनत श्रवण पाइय विश्रामा ||

रचि महेश निज मानस राखा | पाइ सुसमय सिवा सन भाषा ||

तातें रामचरितमानस बर | धरेउ नाम हिएँ हेरी हरपी हर ||

कहहुं कथा सोई सुखद सुहाई | सादर सुनहु सुजन मन लाई ||

 

प्रथमहिं अति अनुराग भवानी | रामचरित सर कहेसि बखानी ||

मुनि नारद कर मोह अपारा | कहेसि बहुरि रावन अवतारा ||

पभु अवतार कथा पुनि गाई | तब सिसु चरित कहेसि मन लाई ||

 

दो – बालचरित कही बिबिध मन महँ परम उछाह |

ऋषि आगवन कहेसि पुनि श्री रघुबीर बिबाह ||

 

बहुरि राम अभिषेक प्रसंगा | पुनि नृप बचन राज रास भंगा ||

पुरबासिन्ह कर बिरह बिषादा | कहेसि राम लछिमन संबादा ||

विपिन गवन केवट अनुरागा | सुरसरी उतरी निवास प्रयागा ||

बालमीक प्रभु मिलन बखाना | चित्रकूट जिमि बसे भगवाना ||

सचिवागवन नगर नृप मरना | भरतागवन प्रेम बाहु बरना ||

करि नृप क्रिया संग पुरबासी | भारत गए जहँ पभु सुख रासी ||

पुनि रघुपति बहु बिधि समझाए | लै पादुका अवधपुर आए ||

भारत रहनी सुरपति सूत करनी | प्रभु अरु अत्रि भेंट पुनि बरनी ||

 

दो – कही बिराध बध जेहि बिधि देह तजी सरभंग |

बरनी सूतीछन प्रीती पुनि प्रभु अगस्ति सतसंग ||

 

कहि दंडक बन पावनताई | गीध मईत्रि पुनि तेहि गाई ||

पुनि प्रभु पंचवटी कृत बासा | भंजी सकल मुनिन्ह की त्रासा ||

पुनि लछिमन उपदेस अनूपा | सुपनखा जिमि कीन्हि कुरुपा ||

खर दूषण बध बहुरि बखाना | जिमि सब मरमु दसानन जाना ||

दसकंधर मारीच बतकही | जेहि बिधि भई सो सब तेहिं कही ||

पुनि माया सीता कर हरना | श्रीरघुबीर बिरह कछु बरना ||

पुनि प्रभु गीध क्रिया जिमि कीन्ही | बधि कबंध सबरिहि गति दीन्ही ||

बहुरि बिरह बरनत रघुबिरा | जेहि बिधि गए सरोवर तीरा ||

 

दो – प्रभु नारद संवाद कहि मारुती मिलन प्रसंग |

पुनि सुग्रीव मिताई बालि प्रान कर भंग ||

कपिहि तिलक करि प्रभु कृत सैल प्रबरशन बास |

बरनन बर्षा सरद अरु राम रोष कपि त्रास ||

 

जेहि बिधि कपिपति कीस पठाए | सीता खोज सकल दिसी धाए ||

बिबर प्रबेस कीन्ह जेहि भांति | कपिन्ह बहोरी मिला संपाती ||

सुनी सब कथा समीर कुमारा | नाघत भएऊ पयोधि अपारा ||

लंका कपि प्रबेस जिमि कीन्हा | पुनि सीतहि धीरजु जिमि दीन्हा ||

बन उजारि रावनहि प्रबोधी | पुर दहि नाघेउ बहुरि पयोधि ||

आए कपि सब जंह रघुराई | बैदेही की कुसल सुनाई ||

सेन समेत जथा रघुबीरा | उतरे जाइ बारिनिधि तीरा ||

मिला विभीषण जेहि बिधि आई | सागर निग्रह कथा सुनाई ||

 

दो – सेतु बाँधी कपि सेन जिमि उतरी सागर पार |

गयऊ बसीठी बीरबर जेहि बिधि बालिकुमार ||

निसिचर कीस लराई बरनिसी बिबिधि प्रकार |

कुंभकरन घननाद कर बल पौरुष संघार ||

 

निसिचर निकर मरन बिधि नाना | रघुपति रावन समर बखाना ||

रावन बध मंदोदरी सोका | राज बिभीशन देव असोका ||

सीता रघुपति मिलन बहोरी | सुरन्ह कीन्हि अस्तुति कर जोरी ||

पुनि पुष्पक चढ़ी कपिन्ह समेता | अवध चले प्रभु कृपा निकेता ||

जेहि बिधि राम नगर निज आए | बायस बिसद चरित सब गए ||

कहेसि बहोरी राम अभिषेका | पुर बरनत नृप नीति अनेका ||

कथा समस्त भुसुंडी बखानी | जो मै तुम्ह सन कही भवानी ||

सुनि सब राम कथा खगनाहा | कहत बचन मन परम उछाहा ||