पिय प्यारीके चरन पलोटत ||
ललितादिक बीजनां ले आई
ताही देखकें घूंघट ओटत || १ ||

चन्दन लेप करत दोऊ
अंगन आलिंगन अधरन रस घोटत ||
नंददास स्याम स्यामा दोऊ पोढे
नवनिकुंज कालिंदीके तट || २ ||